गुरुवार, 24 अप्रैल 2008

पानी के लिए तरस रहा है भोपाल - सुनील कुमार सिंह

जल ही जीवन है। इस वाक्य से आप समझ सकते हैं कि जल प्राणियों के लिए कितना जरुरी है । सोचिये ! पानी के अभाव में जिन्दगी कौन सा विकल्प चुने । १९८४ की गैस त्रासदी झेल चुका मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल आजकल पानी के अभाव की त्रासदी झेल रहा है। जल प्रदाय की उचित व्यवस्था के सरकार के दावे के बावजूद भोपलवासियों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।
वैसे देखा जाए तो भोपाल शहर को ५५ एमजीडी पानी की आवश्यकता है जबकि वर्तमान में ३५ एम जी डी पानी ही भोपाल को मिल पा रहा है। गौरतलब है कि २० एम जी डी पानी की कमी जनता के आक्रोश में बदल रहा है। पानी इंसान की प्राथमिक जरुरत है और इस जरुरत को पूरा करना सरकार का प्रथम कर्तव्य है। लेकिन , लापरवाही और अफसरशाही की समस्या से युक्त मध्य प्रदेश की सरकार इस कर्तव्य को पूरा करने से कोसों दूर है । पानी की उपलब्धता को लेकर सरकार के दावे तो बहुत हैं लेकिन सच्चाई यह है कि ये दावे सिर्फ कागजों पर ही सीमित हैं। पुराने भोपाल में जहां प्रति व्यक्ति पानी की खपत १८० लीटर प्रतिदिन है वहीं नए भोपाल में ३२० लीटर प्रतिदिन पानी की खपत है। जैसे- जैसे गर्मी बढती जा रही है वैसे- वैसे पानी का अभाव भी बढता जा रहा है। आजकल लोगों की मुख्य चिंता पेयजल का प्रबंध करना हो गया है।
भोपाल के कई इलाके ऐसे हैं जहां नल तो हैं लेकिन उनमें से एक बूंद जल भी नहीं टपकता है। पुराने भोपाल में नवाबों के शासनकाल के पाइप लगे हुये हैं जो काफी जीर्ण- शीर्ण अवस्था में हैं। कई जगह स्थिति यह है कि
पाइप मलमूत्रों वाले स्थानों से लगे हैं जहाँ टूट -फूट के कारण जल दूषित हो जाता है। जिसे पीकर इंसान बीमार हो जाता है। प्रदूषित पानी का दंश पीलिया जैसी बीमारियों के रूप में सामने आ रहा है। बूंद -बूंद पानी के लिए तरसते भोपाल को बेहतर जलापूर्ति के लिए एशियाई विकास बैंक से भी मदद मिल रही है। लेकिन समस्या जस कि तस बनी हुई है। भोपाल नगर निगम की माने तो १५ प्रतिशत पानी लीकेज की वजह से बर्बाद हो रहा है। भोपाल में ७०० किलोमीटर पानी की पाइप लाइन बिछी हुई है और इनसे १० एमजीडी पानी लीकेज की वजह से बर्बाद हो जाता है। गौरतलब है कि १ एमजीडी पानी फिल्ट्रेशन प्लांट पर शोधित करने में २५ हज़ार ८७५ रूपये का खर्च आता है। समस्या के अंदर समस्या है। पानी की कमी के साथ -साथ लोग पानी की महंगाई से भी परेशान हैं। पानी की महंगाई को लेकर भोपाल नगर निगम के आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव का कहना है कि बढ़ती आबादी , बिजली और जलशोधक रसायनों की महंगाई के कारण जलप्रदाय महंगा होता जा रहा है। आयुक्त के उक्त बातों के अलावा कुछ और भी कारण हैं जो सस्ते जलप्रदाय के सपने को ध्वस्त कर रहे हैं मसलन टेंकरों से पानी की चोरी, डीज़ल की अवैध बिक्री , बार-बार मोटरों का जल जाना , पाइपों का लीकेज होना,जलदर वसूली से हर साल ४० से ६० प्रतिशत पीछे होना , भाई- भतीजावाद , रिश्वतखोरी आदि मुख्य कारण हैं। एक अनुमान के मुताबिक भोपाल में ५० हज़ार के आस -पास अवैध नल कनेक्शन हैं। यह भी जल को महंगा बनने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। यदि सरकार की माने तोपेयजल आपूर्ति पर सरकार लगभग ३० करोड़ रूपये सालाना खर्च करती है, लेकिन इसके बावजूद भी समस्या जस की तस बनी हुई है। भोपाल की जनता पानी की प्यास में जी रही है। मगर इस उम्मीद में जी रही है कि कभी तो वह सरकारी दया की शिकार होगी और उसकी प्यास उचित और सस्ते जलापूर्ति से बुझेगी।

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