गुरुवार, 24 अप्रैल 2008

सूखे पड़े हैं सरयू नदी के घाट

नवभारत टाइम्स
अयोध्या : ' अवधपुरी मम पुरी सुहावनि, दक्षिण दिश बह सरयू पावनी' रामचरित मानस की इस चौपाई में सरयू नदी को अयोध्या की पहचान का प्रमुख चिह्न बताया गया है। लेकिन आज यह लुप्त होने की स्थिति में है साथ ही इससे जुड़ी अयोध्या की पहचान का भी खतरा मंडराने लगा है।

यहां का प्रसिद्ध रामनवमी का पर्व 14 अप्रैल को होती है। अभी से मेले में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होने लगी है, पर स्नान के लिए उन्हें सरयू नदी को ढूंढ़ना पड़ेगा। एक सप्ताह पहले सरयू के घाट सूखे पड़े थे, नाले के आकार की नदी गोंडा जिले के छोर पर दिखती थी। रामनवमी के मेले के मौके पर नदी की इस बदहाली को लेकर संत-महन्तों ने नाराजगी जताई तो इसमें पानी डाला गया। इसके बाद भी यह नदी के स्वरूप को कायम करने में पूरी तरह नाकामयाब रहा।

अब सरयू नदी के संरक्षण की आवाज उठने लगी है, साथ इसके जल के शुद्धिकरण की भी। सरयू नदी जब उफान पर थी, उस समय भी जब इसके पानी की जांच कराई गई तो रिपोर्ट में इसे नहाने के लायक भी नहीं पाया गया। हालांकि अब तो यह पूरे तौर पर ही गंदा है। अयोध्या के मंदिरों में राम जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। मंदिरों में कथा प्रवचन चल रहे हैं, लेकिन सरयू तट पर वीरानगी दिखने लगी है। इस बार यहां अनुष्ठान, कथा-प्रवचन, नृत्य-नाटिका जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन नहीं किया गया है। फिलहाल यहां पुलिस व अफसरों की गाड़ियां दौड़ती दिख रही हैं। प्रशासन का दावा है कि नवमी मेले में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं।

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