बुधवार, 23 अप्रैल 2008

दिल्ली करती है सबसे ज्यादा मैली यमुना

वरिष्ठ संवाददाता , नवभारत टाइम्स

नई दिल्ली : यमुना को मैली करने में सबसे ज्यादा भूमिका दिल्ली की है। यमुना के किनारे बसे शहरों में सबसे ज्यादा यानी 79 फीसदी दिल्ली का कचरा यमुना में जाता है। राजधानी के 18 नालों को गंदा पानी बिना शोधन करे यमुना में गिर रहा है। यही कारण है कि लगातार यमुना में ऑक्सिजन की मात्रा खत्म होती जा रही है, जिसका प्रभाव यमुना के जलीय जीवन पर पड़ रहा है। वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज के बीच यमुना में सबसे ज्यादा प्रदूषण बढ़ा है। यही वजह है कि राजधानी में यमुना गंदे नाले में तब्दील होकर रह गई है।

गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री नमो नारायण मीना द्वारा राज्यसभा को लिखित जवाब में यह बताने से कि यमुना को मैली करने में सबसे ज्यादा रोल दिल्ली का है, एक बार फिर यमुना की गंदगी को ही रेखांकित किया गया है। यमुना के किनारे बसे देश के बाकी शहरों के मुकाबले अकेले दिल्ली में यमुना के अंदर 79 फीसदी प्रदूषण जाता है।

यमुना को सबसे ज्यादा नजफगढ़, शाहदरा व सप्लीमेंटरी ड्रेन प्रदूषित करती है। इन नालों के गंदे पानी को शोधित किए बगैर ही यमुना में बहा दिया जाता है। विशेषज्ञों का मत है कि राजधानी में हर रोज 700 एमजीडी के करीब सीवेज (अवजल) पैदा होता है। दिल्ली जल बोर्ड के 17 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं जिनकी शोधन क्षमता तो 512 एमजीडी है, लेकिन ये प्लांट करीब 355 एमजीडी सीवेज का ही शोधन कर पाते हैं। जाहिर है कि बाकी का गंदा पानी नालों के जरिए सीधा यमुना में चला जाता है। इस तरह जितनी गंदगी पैदा होती है उसमें से आधी किसी सीवर प्लांट में जान बिना ही यमुना में पहुंच जाती है।

वैसे, यमुना को साफ करने के नाम पर कई योजनाएं बनाई गई हैं। जापान बैंक फोर इंटरनैशनल कॉरपोरेशन की मदद से यमुना एक्शन प्लान बनाया गया। अब कहा जा रहा है कि कॉमनवेल्थ गेम्स तक यमुना को 70 फीसदी तक साफ करने के लिए इंटरसेप्टर एंड डाइवरजन स्कीम लागू कर दी जाएगी। यह काम दिल्ली जल बोर्ड ने इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) को सौंपा है। स्कीम के तहत यमुना में गिरने वाले नजफगढ़, शाहदरा और सप्लीमेंटरी ड्रेनों के एक ओर 50 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाई जाएगी ताकि गंदा पानी इन नालों में न गिरे। इस योजना पर करीब 1500 करोड़ रुपये का खर्च किए जाने हैं। यह राशि 4 साल के दौरान खर्च की जाएगी। नजफगढ़ और सप्लीमेंट्री ड्रेन के साथ-साथ 35 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाई जाएगी। दावा यह है कि 2012 तक शाहदरा ड्रेन का भी गंदा पानी यमुना से गिरने से रोक दिया जाएगा। ये तीनों नाले मिलकर ही यमुना में सबसे ज्यादा गंदगी डालते हैं।

यमुना की सफाई के लिए दूसरे चरण में वर्तमान सीवेज प्लांटों की क्षमता बढ़ाना और नए प्लांट लगाने की योजना है। इसके अलावा भी बड़ी-बड़ी बातें कही गई हैं लेकिन ये बातें पिछले 30 सालों से लगातार जारी हैं और कई योजनाएं भी घोषित हो चुकी हैं जबकि दूसरी तरफ यमुना की सफाई होने की बजाय वह गंदा नाला बन गई है और इस कलंक के लिए दिल्ली सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/2885704.cms

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