सीएनएन-आईबीएन
मथुरा मंदिरों और श्रद्धालुओं की नगरी है। यहां हर रोज हजारों लोग घूमने और पूजा करने आते हैं। लेकिन मथुरा का एक चेहरा ऐसा भी है जिसे कोई नहीं देखना चाहता। मथुरा का पानी प्रदूषित है।
मथुरा से सीएनएन-आईबीएन सिटिजन जर्नलिस्ट महेंद्रनाथ चतुर्वेदी की एक रिपोर्ट
15 लाख की आबादी वाले मथुरा जिले का पानी प्रदूषित है। पानीपत, करनाल और दिल्ली से नालों में होकर आने वाला गंदा पानी हालात को और बदतर बना रहा है।
हालांकि यहां बने गोकुल बैराज में यमुना का प्रदूषित पानी साफ किया जाता है। इसकी कार्यक्षमता की हकीकत जानने के लिए हमने बैराज के प्रमुख पीयूष पंकज से बात की। उनका कहना था कि लोगों को जिन पाइपों को जरिये पानी की आपूर्ती की जाती है हो सकता है वह खराब हों।
मथुरा निवासी बताते हैं कि यह पानी पीने योग्य नहीं है। इसका रंग पीला है। इससे तो नहाना भी संभव नहीं है।
मालूम हो कि सन 2007 में इस पानी के नमूने को जांच के लिए भारतीय चिकित्सा संस्था (आईएमए) भेजा गया। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक इस पानी में कई जहरीले रसायन मिले हैं जिन्हें किसी भी तरीके से अलग नहीं किया सकता।
इस बारे में प्रशासन से कई बार शिकायतें की गईं पर कोई असर नहीं हुआ। उधर, जिलाधिकारी मथुरा ने बताया कि पानी की समस्या दो वजहों से हैं। एक तो उसकी गुणवत्ता और दूसरी इसकी उपलब्धता। जब उनसे पूछा गया कि गोकुल बैराज से आने वाला पानी क्या स्वच्छ है तो उनका कहना था कि यह जल निगम की जिम्मेदारी है कि वह साफ पानी मुहैया कराए।
बहरहाल मथुरा को साफ पानी दिलाने की मुहिम चलाने वाले महेंद्र नाथ का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। वे इस मसले पर आदालत में एक जनहित याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं।
साभार - http://www.josh18.com
रविवार, 20 अप्रैल 2008
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