शुक्रवार, 16 मई 2008

अनुपम और फरहाद

पानी के लिए अनुपम और फरहाद की अनोखी जुगलबंदी



भोपाल, 26 फरवरी (आईएएनएस)। गीत संगीत की तो आपने बहुत सी जुगलबंदी देखी और सुनी होगी मगर भोपाल के स्वराज भवन में दो चिंतकों की अनोखी जुगलबंदी हुई।

जुगलबंदी करने वाले कोई और नहीं बल्कि अनुपम मिश्र तथा फरहाद कॉन्ट्रेक्टर थे। मौका था राजबहादुर पाठक स्मृति व्याख्यान समिति द्वारा आयोजित 'खारे पानी के बीच मीठे पानी की खोज' विषय पर व्याख्यान और स्लाइड शो का।

राजस्थान का बाड़मेर और जैसलमेर का इलाका खारे पानी के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र में मीठे पानी को लोग कितने जतन से जुटाते हैं और वहां के लोग अन्य क्षेत्रों के लिए किस तरह से मार्गदर्शक बन सकते हैं, इस पर अनुपम मिश्र और फरहाद कॉन्ट्रेक्टर ने निराले अंदाज में बात रखी।

प्रोजेक्टर पर दिखाई जा रही है स्लाइड के जरिए फरहाद कॉन्ट्रेक्टर जहां वहां के लोगों के प्रयासों का जिक्र कर रहे थे तो अनुपम मिश्र रेगिस्तानी इलाके की स्थितियों का खुलासा कर रहे थे।

राजस्थान के इस इलाके में कई दिन और माह नहीं होती बल्कि कुछ घंटों के लिए ही बादल बरसते हैं, बस इसी पानी को यहां के लोग इकट्ठा कर अपना काम चलाते हैं। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। जिन स्थानों पर पानी इकट्ठा किया जाता है उन्हे टांका और कुँई नाम दिया गया है।

दृश्यों और शब्दों के जरिए बताया गया कि टांका और कुँइया कोई आज नहीं बनी है, क्योंकि इस इलाके में पानी का जल स्तर दो सौ फुट नीचे है और जो पानी है वह खारा है, जो पीने के काबिल नहीं है। इसके बावजूद यहां के लोगों में मुकाबले की क्षमता औरों के लिए प्रेरणादायी है। इसी लिए कुछ घंटे की वर्षा के पानी को लोग इकट्ठा कर लेते हैं, और इस मीठे पानी से अपना जीवन चलाते हैं। इस इलाके में जिप्सम की परत है और उसके ऊपर कुँइया और टांका अलग अलग तरह से बनाए जाते हैं, जिनमें पानी इकट्ठा हो जाता है। जिप्सम की परत के नीचे खारे पानी का खजाना होता है ।

अहमदाबाद के फरहाद कॉन्ट्रेक्टर पिछले डेढ़ दशक से राजस्थान के इस इलाके में काम कर रहे हैं और उन्होंने खारे पानी के इस इलाके में मीठे पानी के खजानों तक पहुंचने में सफलता पाई है। वे इन स्थानों की मरम्मत में मदद कर रहे हैं। फरहाद कॉन्ट्रेक्टर के दृश्य और अनुपम मिश्र की कॉमेन्ट्री ने ऐसा समां बांधा की व्याख्यान सुनने पहुंचे जरूर कम लोग थे मगर जो भी पहुंचे उन्हें डेढ़ घंटे का पता ही नहीं चला।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

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