रविवार, 11 मई 2008

गगरी न फूटे-चाहे खसम मर जए, बुंदेलखंड में पानी के लिए कोहराम

हरिशचंद्र
महोबा, मार्च। पानी के लिए समूचे बुंदेलखंड में कोहराम मच गया है। आदमी तो आदमी जनवर भी पानी के लिए संघर्ष पर उतर आए हैं। कुछ दिन पहले ही बंदरों ने धाव बोलकर एक घर में पानी लूट लिया। ये बंदर तब तक वहां से नहीं खिसके जब तक उन्होंने जी भर कर पानी नहीं पी लिया। पानी के लिए हाल ही में एक बच्चे की जन चली गयी। बुंदेलखंड में एक कहावत मशहूर है कि गगरी न फूटे, चाहे खसम (पति) मर जए जो आजकल यहां पूरी तरह चरितार्थ हो रही है। पानी के लिए जिले की पनवाड़ी तहसील के बैला बाजर में एक दलित महिला को पांच दबंगों ने पीटा और इसकी रिपोर्ट पुलिस में तब जकर लिखी ज सकी जब पुलिस अधीक्षक को स्वयं हस्तक्षेप करना पड़ा। बाद में दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया। इसी तरह जनपद के कबरई इलाके में एक महिला को दो लोगों ने पानी हासिल करने की होड़ में पीट दिया जिसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई गयी।
दो दिन पहले महोबा शहर के मुहल्ला नयापुरा नैकाना में पानी के टैंकर से दबकर एक नौ वर्षीय रोहित की मौत हो गयी। इस मुहल्ले में सुबह आठ बजे जब पानी का टैंकर आता दिखाई दिया तो मुहल्ले की महिलाएं और बच्चे पानी के लिए टैंकर की तरफ दौड़ पड़े। कुछ लोग चलते टैंकर के ऊपर चढ़ गये और यह बच्च भी टैंकर पर चढ़ गया लेकिन जसे ही टैंकर रूकने को हुआ तो यह बालक टैंकर से फिसलकर नीचे आ गया और उसका पहिया उसके ऊपर चढ़ गया लेकिन पानी हासिल करने की होड़ में लगे लोगों ने उस पर ध्यान ही नहीं दिया। अस्पताल जते वक्त रास्ते में उसकी मौत हो गई। पानी के लिए पूरे इलाके में रोज कोई न कोई इस तरह की घटना हो रही है। महोबा शहर तथा आसपास के गांवों में जितने भी तालाब और कुंए हैं, सभी पूरी तरह सूख चुके हैं। यहां के बुजुर्गो का कहना है-आजदी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब सारे के सारे तालाब सूख गये हों, कुंए बेकार हो गए हों। इतनी खराब हालत तो सत्तर के दशक में पड़े अकाल के वक्त भी नहीं थी। शहर के बीच में बसे चंदेलकालीन ऐतिहासिक तालाब मदनसागर, कीरत सागर, कल्याण सागर व राहिल्य सागर तो पूरी तरह बंजर हो चुके हैं। बस विजय सागर तालाब में तलहटी पर नाममात्र का थोड़ा पानी है। शहर में जल संस्थान ने जो जल आपूर्ति के लिए पाईप लाइन बिछाई है, वह सूख गई है। घर में लगे नलों से अब पानी आना बंद हो चुका है। विषम हालात में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर सलारपुर गांव में बने अजरुन बांध से पहले अक्सर यहां के मदन सागर तालाब में नहर से पानी लाया जता था जिसे नहर से ही कीरत सागर में जोड़ा जता था ताकि शहर की जलापूर्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दोनों तालाबों में पानी बना रहे लेकिन इस बार अजरुन बांध से भी पानी लाने के लाले पड़ गये हैं। हालात इतने बदतर हो गए है कि सिंचाई विभाग ने आरोप लगाया है कि आसपास के गांव वाले बांध से पानी की चोरी कर रहे हैं और पानी बेच रहे हैं। महोबा से २५ किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के कैमाहा क्षेत्र में बने उर्मिल बांध से उत्तर प्रदेश की सीमा में पानी लाने पर भी कुछ इसी तरह का विवाद खड़ा हो गया है। कुल मिलाकर स्थित बद से बदतर होती ज रही है। फागुन में जब ये हाल है तो चैत, वैशाख और जेठ की भीषण गर्मी में हालात कितने विकट होंगे, इसे सोच-सोचकर सबकी रूह कांपने लगती है।

1 टिप्पणी:

राज भाटिय़ा ने कहा…

कोन कहता हे हम ने तरक्की कर ली, रोटी तो रोटी हमारे पास पीने के लिये पानी नही, मुझे आप की यह पोस्ट पढ कर बहुत कुछ सोचने पर मजबुर कर दिया, धन्यवाद