सोमवार, 25 अगस्त 2008

कागजों में ही दबी आयड़ की पहल

भास्कर न्यूज
उदयपुर. राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना की बैठक लेकर नगर परिषद और यूआईटी की बैठकों में आयड़ नदी के संरक्षण व सौंदर्यीकरण की योजना केवल कागजों तक सीमित रह गई है। ठीक एक वर्ष पूर्व नगर परिषद द्वारा आयड़ नदी के सौन्दर्यीकरण को लेकर हुई बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारियों ने जोर-शोर से खूब बातें की, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस क्रियान्विति नहीं हो पाई।

आयड़ नदी को लेकर स्थानीय पर्यावरणविदों सहित झील संरक्षण समिति द्वारा बार-बार सरकार और प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया पर योजना कागजों में ही चलती रही। पिछले माह यूआईटी में हुई बैठक से फिर आयड़ नदी के सौन्दर्यीकरण की उम्मीद बंधी पर अब तक कोई ठोस जमीनी हलचल नहीं दिखाई दी।

आयड़ नदी के भू-जल स्तर में गिरावट

भू-जल स्तर के मापदंड़ों के अनुसार आयड़ नदी का जलग्रहण क्षेत्र अतिदोहित की श्रेणी में आता है। जलस्तर की गिरावट खतरे के स्तर तक जा चुकी है।

नदी का टोपोग्राफिकल व हाइड्रोजिकल सर्वे जरूरी

विशेषज्ञों कर राय में आयड़ नदी का भू-स्थलीय (टोपोग्राफिकल) तथा हाइड्रोलोजिकल सर्वे जरूरी है। आयड़ नदी के विकास में उदयसागर का संरक्षण जरूरी है। आयड़ नदी के लिए बनास बेसिन नदी के ऊपरी बेड़च बेसिन की पर्यावरण गुणवत्ता का सूचक उदयसागर झील है।

कब -कब हुई आयड़ नदी के विकास की बात

राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना की बैठक

12 जनवरी 2004 को दिल्ली के पर्यावरण भवन में राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना की बैठक में राज्य सरकार से बनास नदी के उदयपुर से चित्तौड़गढ़ तक के प्रदूषण वाले हिस्सों का सुधार करने के लिए आग्रह किया गया, लेकिन राज्य सरकार ने इस दिशा में रुचि नहीं दिखाई। इस बैठक में राज्य सरकार की ओर से पर्यावरण विभाग की तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव कुशालसिंह ने भाग लिया।

2004 से प्रयासरत झील संरक्षण समिति :

झील संरक्षण समिति वर्ष 2004 से ही राज्य सरकार से यह आग्रह कर रही है कि आयड़ नदी की योजना को राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना में शामिल कर इसको प्रदूषण मुक्त कराया जाए।

22 मार्च 2007 को झील संरक्षण समिति ने तैयार की योजना

आयड़ नदी विकास की योजना को लेकर झील संरक्षण समिति ने 22 मार्च को बैठक में योजना तैयार की। योजना के तहत निम्न चरण को प्रस्ताव में शामिल किया गया : द्य 1947 के दस्तावेजों के आधार पर बेदला एनीकट से सूखा नाका तक आयड़ नदी का सीमांकन किया जाए।

नदी तट से दोनों ओर 50 मीटर की भू-पट्टीका को हरित क्षेत्र घोषित किया जाए तथा इसमें वृक्षारोपण किया जाए। द्य नदी के अंदर 12 से 15 स्थानों पर दो से ढाई फीट की दीवारें बना दी जाए। इन दीवारों के पीछे एकत्र होने वाले गंदे पानी में विशेष प्रकार की जलीय वनस्पति, एल्गी छोड़कर पानी का जैविक उपचार किया जाए।

औद्योगिक इकाइयों को पाबंद किया जाए कि उनके दूषित जल को उपचारित कर ही प्रवाहित किया जाए। द्य नदी जल ग्रहण क्षेत्र में स्थित मार्बल स्लरी डंपिंग यार्ड को हटाया जाए। द्य आयड़ वाटरशेड उपचार योजना जो प्रशासन के पास पड़ा है उसकी क्रियान्विति हो। द्य आयड़ नदी के सौन्दर्यीकरण के लिए विस्तृत प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार की नदी संरक्षण योजना में भेजा जाए। द्य नदी को वेनिस का दर्जा देना है तो नदी के जलग्रहण क्षेत्र में सुधार की ओर ध्यान दिया जाए।

दस-बारह वर्ष पूर्व भी बनी योजना

आयड़ नदी के विकास और संरक्षण के लिए जिला प्रशासन के डीआरडीए के पास आयड़ नदी वाटरशेड प्रोजेक्ट बनाया गया लेकिन इस पर भी क्रियान्विति नहीं हुई।

अब तक तैयार नहीं हुआ खाका

टाउन प्लानर को आयड़ नदी का खाका तैयार करने की बात पूर्व बैठकों में की गई, लेकिन इस दिशा में भी प्रगति नहीं के बराबर है।

बीते माह हुई बैठक भी कागज में

आयड़ नदी के सौन्दर्यीकरण के लिए फरवरी-2008 को यूआईटी में बैठक हुई जिसमें भी बड़ी-बड़ी बातें होकर रह गई।

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