सोमवार, 25 अगस्त 2008

पृथ्वी पर प्रदूषण

साक्षातकार

डॉ. गुफरान बेग़ को अंतरराष्ट्रीय विज्ञान संस्था की तरफ से Norbert-Gerbier-Mumm (NGM) नामक पुरस्कार से सन्मानित किया गया है। ये पुरस्कार पृथ्वी पर प्रदूषण से संबंधीत नये संशोधन के लिए दिया गया है। इस संशोधन पर विस्तार से जानकारी के लिये ये साक्षातकार आयोजित किया गया है।

प्रश्न १. प्रदूषण का क्या अर्थ है। भारत मे मुख्यतया किस प्रकार का प्रदूषण पाया जाता है?

ऊत्तर: प्रदूषण के मुख्यत: ३-४ प्रकार होते है:

१) वायु प्रदूषण

२) जल प्रदूषण

३) मृदा प्रदूषण

४) ध्वनि प्रदूषण

उदाहरण के लिए: मृदा प्रदूषण जल प्रदूषण का मुख्य कारण बङे - बङे कारखानों में से निकलने वाला गंदा पानी, घरों में उपयोग होने के बाद , नालों में से बहकर जाने वाला पानी नदियों में मिल जाता है, जिसके कारण नदी का पानी प्रदूषित होता है। ऐसे प्रदूषित जल को यदि सब्जियों और फलों की सिंचाई के लिए प्रयोग में लाया जाए तो ये मनुष्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है।

वायु प्रदूषण आज एक बहुत ही चिंताजनक स्थिति में पहुँच गया है। पूना में भी यह बहुत अधिक चिंताजनक हालत में है। हमारी संस्था (IITM) में हम वायु प्रदूषण से संबंधित सभी विषयों पर अध्ययन करते है और प्रवीणता प्राप्त की है। वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण वाहनों की बढती हुई संख्या है, और उससे निकलने वाली प्रदूषित हवा है। कारखानों में उपयोग में लाया जाने वाला कोयला और अनेक दूसरे ईंधन, कृषि अवशेष और गावों में पारंपरिक तौर पर उपयोग में लाया जाने वाला ईंधन जिसमें लकङी और गोबर का जलना, ये सारे वायु में नाईट्रोजन ऑक्साईड, कार्बन मोनोक्साईड और ओज़ोन तथा सूक्ष्म कण की मात्रा को बढाते है, और वायु प्रदूषित करते हैं।

प्रश्न २. इन सभी प्रदूषणों का क्या परिणाम हो सकता है।

ऊत्तर: इस वायु प्रदूषण के कारण मनुष्य ही नहीं बल्कि पेङ-पौधों पर भी घातक परिणाम होते है।

मैंने जो वायु प्रदूषक बताए हैं, उनमे से सबसे अधिक घातक ज़मीनी ओज़ोन है। ओज़ोन की रासायनिक प्रक्रिया के कारण आँखों में जलन, फेफङों में तकलीफ़ और कर्क रोग जैसी घातक बीमारियाँ हो सकती है ।

ओज़ोन की मात्रा यदि वायु में अधिक हो जाए तो कृषि उत्पादन में कमी पाई गई है। भारत वर्ष में अभी तक ओज़ोन का मापदंड प्रदूषण विभाग द्वारा नहीं आंका गया है परन्तु हमने इसका आंकलन किया है। जब ओज़ोन की मात्रा ८३ पीपीबीवि ( 83ppbv ) की सीमा रेखा से अधिक हो जाए तब ये मनुष्य के स्वास्थ के लिऎ घातक सिद्ध होती है। और यदि ४० पीपीबीवि (40ppbv) से अधिक हो जाए तो कृषि के लिए अच्छी नहीं है और पैदावार कम हो सकती है।

प्रश्न ३. प्रदूषण मापन (अंदाज ) किस प्रकार से कर सकते हैं?

ऊत्तर: प्रदूषण मापन दो प्रकार से संभव है।

१) पहला-आधुनिक प्रदूषण मापी उपकरणों द्वारा। परन्तु इसके लिए अलग अलग स्थानों पर उपकरण लगाने होंगे, क्योंकि प्रदूषण वातावरण में हमारे द्वारा use sources जैसे वाहनों की सँख्या, Traffic Density, जनसँख्या पर निर्भर करता है जो कि थोङी थोङी दुरी पर बदलते रहते हैं। ये विधी में नेटवर्क करना आसान नहीं है और वित्ती भार भी अधिक है।

२) दुसरा प्रकार- इस विधी से आज के वातावरण के साथ साथ भविष्य मे वायु प्रदूषण का अंदाज लगाना भी संभव हो सकता है।

प्रश्न ४. आपके द्वारा प्रदूषण संशोधन और भविष्य में इसके अनुमान के बारे में आपने क्या प्रगति की है हमें बतायें। मुख्यतौर पर पूना में हमारी जनता कब और कैसे प्रदूषण का अंदाज ले पाएगी?
ऊत्तर: वातावरण के प्रदूषण से सभी विषयों पर हमारी संस्था IITM में शोध कार्य निरंतर प्रगति पर है। हमारे पास दोनो ऊपर बताये विधी यानी उपकरण और मांडलिग द्वारा शोध हो रही है। पूना के पाषाण भाग में घातक ओज़ोन की मात्रा पिछले २ वर्षो में हर वर्ष ४०-५० घातक माप ८३ पीपीबीवि को पार करी हैं। ये चिंताजनक है। यह घातक level मुख्य Traffic Junctions जैसे स्वारगेट, विद्यापीठ सर्कल, नल स्टॉप, चाँदनी चौक, हङपसर आदि स्थानो पर और भी अधिक हो सकता है। सुक्ष्म कणों की मात्रा और नाईट्रोजन के घटक दुपहिया पुराने वाहनों के कारण बढ रहे हैं।

हमने एक Project भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली के साथ प्रारम्भ किया है जिसमें प्रदूषण का प्रभाव रवी और खरीफ फसल पर देखना है। इस अध्ययन के अनुसार ये आंका गया है कि यदि ओज़ोन स्तर 60ppbv होता है चावल व गेंहू के उत्पादन में १-९% की कमी हो सकती है। २००१ वर्षा औसत से कम हुई थी इस कारण ओज़ोन और कार्बन मोनोक्साईड की मात्रा इस वर्ष बढ गई थी जिसका असर ये देखा गया कि कृषि उत्पादन ८% से २००२ में कम हुआ। ये निष्कर्ष IARI के CropModel से मिला है।

प्रश्न ५. आप हमें भविष्य में प्रदूषार्ण के अंदाज में आपके द्वारा प्रगति के विषय में बताएँ!

ऊत्तर:.हा ! हम इस दिशा में गहन अध्ययन कर रहे हैं। हमने REMO नाम का एक क्षेत्रीय रास. वहन मॉडल तैयार किया है। संगणक के द्वारा इस मॉडल से आज का प्रदूषण और पीछे के स्तरों के बारे में सूचना मिल सकती है। इसमें हवामान के सभी घटक तापमान, हवा का दबाव, आर्द्रता, हवा की गति और दिशा के साथ-साथ प्रदूषण Emissions Inventery जैसे घटक मॉडल में Input दिये जाते है। इनके बारे मे जानकारी भविष्य के अंदाज में निश्चित रुप से अनिश्चित्ता हो तो प्रदूषर्ण अंदाज में भी अनिश्चित्ता आती है।

प्रश्न ६. भारत के शहरों और गावों के प्रदूषण में क्या अन्तर हैं?

ऊत्तर:. शहर में प्रदूषण मुख्यतः वाहनों के आगमन के कारण होता है। वाहन अगर सही हो और उचित तौर पर उपयोग किया जाए तो प्रदूषण के जटिलता कम है । लेकिन हमारे देश में बिना ट्यून किए वाहन, चौराहों पर लाल बत्ती पर २-३ मिनट तक ठहरे मगर धुँआ उङाते वाहन, आदि एक मुख्य प्रदूषण समस्या है। सर्दी में टायरों का जलाना गंभीर समस्या बनता जा रहा है जो काले कार्बन की बढती मात्रा का स्त्रोत है।

गावों में खाना अभी भी मुख्यतः लकङी/चूल्हे के उपयोग से बनता है या कोयले की सगङी इस्तेमाल की जाती है। गोबर से बने कंडे उपयोग में लाए जाते हैं। इन सबसे प्रदूषित गैसे मुख्यतः CO अधिक मात्रा में निकलती है।क्योंकि भारत की ७०% जनता अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती हैं। ये गाँवों की अधजली लकङी और गोबर की समस्या अति गंभीर होती जा रही है।

प्रश्न ७. प्रदूषण के बारे में लोगों में हम जागरुकता कैसे पैदा कर सकते है। आपकी प्रदूषण पर इस बारे में क्या सुझाव हैं।

ऊत्तर:. मेरे इस बारे में ४-५ सुझाव या Recommendation हैं।

प्रदूषण की समस्या आकङों में बताकर जनसाधारण को अलग अलग मंचो का उपयोग करके जागरुक करें। अपनी संस्था IITM,Pune में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ( भारत सरकार का उपक्रम ) के अधीन एक कार्यक्रम ENVIS & SDNP Climate-Change चलाया गया है। इसके अधीन एक वेब साईट envis.tropmet.res.in बहुत ही साधारण भाषा में बनाई गयी हैं जो इस बारे में जानकारी विस्तृत तौर पर देती है। Kids Corner के नाम से एक Link इसमें दिया गया है जो चलचित्र द्वारा Animation से प्रदूषण की जानकारी देता हैं।

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