बुधवार, 27 अगस्त 2008

पेयजल को प्रदूषित कर रहे हैं कॉस्‍मेटिक्‍स

बाथरूम से निकला मानव अवशिष्‍ट पीने के पानी को बना रहा है प्रदूषित
रोजाना नहाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले साबुन और शैम्‍पू अब मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। सीवेज के पानी के साथ इन कॉस्मेटिक्स में मिले रसायन पीने के पानी को भी प्रदूषित करने लगे हैं। इस बात का खुलासा किया गया है ब्रिटेन की रॉयल सोसायटी ऑफ केमिस्ट्री की एक ताजातरीन रिपोर्ट में।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साबुन, शैम्पू और परफ्यूम आदि में मिले रसायनों का सीवेज के पानी में अनुपात तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय शहरों के लिए यह बात निश्‍िचत रूप से चिंताजनक है, क्योंकि यहां पेयजल और सीवेज के पानी की लाइनें अक्सर एक साथ बिछाई जाती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीवेज के पानी का परिशोधन करने वाले संयंत्रों में इन कॉस्मेटिक्स के मिले रसायन ठीक तरह से साफ नहीं हो पाते और पेयजल में घुल जाते हैं। रिपोर्ट में ब्रिटेन के कुछ बड़े शहरों में पेयजल का परीक्षण किया गया, जिससे पता चला कि उनमें थैलेट्स की मात्रा काफी अधिक है। थैलेट्स करीब 120 रसायनों का एक समूह है, जो पुरुषों के शरीर में पहुंचकर प्रजनन तंत्र को प्रभावित करता है। इस रसायन से पशुओं को भी खासा नुकसान पहुंचता है। महिलाओं में यह रसायन स्तन कैंसर का कारण बन सकता है।
रॉयल सोसायटी ऑफ केमिस्ट्री के वैज्ञानिक जेफ हार्डी ने बताया कि हालांकि ब्रिटेन में लोगों को सप्लाई किए जा रहे पेयजल में इन हानिकारक तत्वों की मात्रा काफी कम है, लेकिन एशियाई देशों में इनका स्तर अधिक हो सकता है, क्योंकि वहां के जलशोधन संयंत्र पश्‍िचमी देशों जितने आधुनिक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक वैज्ञानिकों को इन तत्वों को रासायनिक रूप से अलग करने का तरीका मालूम नहीं चला है। ऐसे में इतना तो तय है कि मानव शरीर में अभी भी हानिकारक रसायनों की काफी मात्रा पहुंच रही है।

http://merikhabar.com

1 टिप्पणी:

admin ने कहा…

उपयोगी एवं आंख खोलने वाली जानकारी दी है आपने
शुक्रिया।