रविवार, 9 मार्च 2008

संवरेगी यमुना सजेगी राजधानी

इंद्रजीत तंवर
पानी की बूंद बूंद के लिए हर बड़े शहर का तरसना और पडा़ेसी राज्यों से आये दिन की खींचतान, आम बात है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि जीवनरेखा बन सकने वाली नदियों को हमने नाले में तब्दील कर डाला। दिल्ली की यमुना को ही लें, डेढ़ दशक का समय कम नहीं होता खासकर तब जब 15 सौ करोड़ रूपये से ज्यादा फूंक डाले गये हों। इसके बाद भी यमुना को जीवनदायिनी नहीं बनाया जा सका। राष्ट्रमंडल खेलों के मद्देनजर फिर कोशिश चालू है। उम्मीद पर दुनिया कायम है और इस बार यमुना और इसके किनारों के लिए जो महत्वाकांक्षी योजनाएं विभिन्न एजेंसियों ने बनायी हैं, उनमें अच्छी बात यह भी है कि पुरानी गलतियों से सबक सीखा गया है। यमुना के किनारों के लिए जो योजनाएं बनायी गयी हैं, वे पूर्वी और मध्य दिल्ली का हुलिया बदल देने में सक्षम हैं। इन योजनाओं के जरिये दिल्ली को तमाम तरह की सौगातें मिल सकती हैं। इसमें मनोरंजन, रिहाइश और वाणिज्यिक गतिविधियों के साथ साथ दिल्ली की पानी की जरूरत को पूरा करने का पुख्ता इंतजाम किया गया है। कुछ हफ्तों पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी यमुना के किनारों के कायाकल्प की हरी झंडी दे दी है, लिहाजा कानूनी अड़चन भी नहीं है।
दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली पर्यटन व परिवहन विकास निगम के साथ साथ दिल्ली विकास प्राधिकरण ने यमुना के रिवरबेड के लिए खासी योजनाएं बनायी हंै। ज्यादा दारोमदार दिल्ली विकास प्राधिकरण पर है जिसने यमुना के शेष बचे 7300 हेक्टेयर जमीन के कायाकल्प का बीड़ा उठाया है। बताते चलें कि यमुना का कुल क्षेत्र 9700 हेक्टेयर है, जिसमें से 2400 हेक्टेयर क्षेत्र पानी के नीचे आता है। शेष बची 7300 हेक्टेयर जमीन को अभी तक कई पूर्वाग्रहों के चलते नहीं छेड़ा गया था। कुछ पर्यावरण से जुड़ी चिंताएं थी तो कुछ योजनाओं व नियोजन का अभाव था। खैर, अब इस 7300 हेक्टेयर जमीन जो कुल मिलाकर 97 वर्ग किलोमीटर बैठती है, के लिए योजना बनायी गयी है। इसमें से 85 फीसदी जमीन को दिल्ली विकास प्राधिकरण मनोरंजन गतिविधियों के लिए विकसित करना चाहता है। इन गतिविधियों में पार्क, हेरिटेज वॉक, वाटर स्पोर्ट्स, पक्षी अभ्यारण्य से लेकर फार्मूला वन रेसिंग कार का ट्रेक तक शामिल है। मास्टर प्लान 2021 में पहले ही प्रावधान कर दिया गया है कि यमुना के जल अधिग्रहण क्षेत्र का संरक्षण और विकास किया जायेगा। मनोरंजन गतिविधियों में पक्का निर्माण कम से कम किया जायेगा। घरों की कमी से जूझती दिल्ली को यमुना के किनारों के विकास से यह फायदा हो सकता है कि विकसित की जाने वाली जमीन में 3 फीसदी को रिहाइश के लिए इस्तेमाल किया जायेगा।
इतनी ही जमीन वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए रखी गयी है, जिसमें कनॉट प्लेस की तर्ज पर आधुनिक बाजार विकसित करने की योजना है। छह फीसदी जमीन जनसुविधाओं के लिए रखे जाने की बात कही गयी है तो तीन फीसदी पर सड़कें बनेंगी ताकि आवाजाही में किसी तरह की दिक्कत न हो। फार्मूला वन के लिए ट्रेक कहां बने, इस पर अभी अंतिम राय नहीं बनी है लेकिन गुड़गांव तथा ग्रेटर नोएडा के साथ साथ दिल्ली भी तगड़ी दावेदार है। वजीराबाद के पास इस तरह का ट्रेक बनाने की राय दिल्ली पर्यटन निगम ने दी है। इतने बड़े पैमाने पर यमुना के किनारों को विकसित कर देने के बाद बाढ़ जैसे खतरों से निपटने के लिए भी पूरा इंतजाम किया जायेगा।
यमुना के किनारों पर बाढ़ से पूरी सुरक्षा के लिए दो बंध (बैरियर) बनाने से कम से कम बाढ़ का खतरा टल जायेगा। इस समूचे विकास के लिए बड़ी तादाद में लोगों का पुनर्वास भी करना होगा और जमीन का अधिग्रहण भी लेकिन डीडीए इसके लिए तैयार है। पूर्वी दिल्ली में उप्र की सीमा पर यमुना के किनारों की सूरत बदलने का काम शुरू भी हो चुका है। तमात तरह की बाधाएं पार करने के बाद अब यहां राष्ट्रमंडल खेलों के लिए खेलगांव बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। यमुना के किनारों पर जगह मुहैया हो जाने के कारण ही अब एशियाड ने जो दक्षिणी दिल्ली को दिया उसी तरह का योगदान राष्ट्रमंडल खेल पूर्वी दिल्ली के हिस्से में देने जा रहे हैं। सालों से रियल एस्टेट क्षेत्र के खिलाड़ी भी इस बात पर जोर दे रहे थे कि दिल्ली में जमीन की कमी को देखते हुए रिहायशी व वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए यमुना रिवर बेड की जमीन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अब तक पर्यावरणविदों के डर के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा था लेिकन अब तमाम शोध अध्ययनों में यह पाया गया है कि कुछ सावधानियों के साथ यमुना रिवर बेड का प्रयोग किया जा सकता है।
दिल्ली विकास प्राधिकरण के साथ साथ दिल्ली पर्यटन व परिवहन विकास निगम ने भी यमुना को लेकर भीमकाय योजनाएं बनायी हैं। इसका ज्यादा जोर दिल्ली की पेयजल की जरूरत को पूरा करने और यमुना को स्वच्छ निर्मल बनाने पर है लंदन की टेम्स नदी की तर्ज पर। अभी दिल्ली यमुना में पानी सिर्फ वजीराबाद बैराज पर रोकती है। अब इससे पहले पल्ला के पास एक और बैराज बनाकर पानी रोकने की योजना बनायी गयी है। दिल्ली पर्यटन निगम की राय है कि दिल्ली की पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए हिंडन नदी और यमुना पर दो विशाल जलाशय बनाये जाएं। राजधानी देश का दिल है इसलिए इसके सुंदरीकरण पर सबकी आम हो चली है।
हिंडन से नहर के जरिये यमुना को जोड़ा जाये ताकि बारिश के पानी की एक एक बूंद का समुचित इस्तेमाल किया जा सके। यह पूरी योजना करीब 18 हजार करोड़ रूपये की है। सबसे अच्छी और जरूरत की योजना दिल्ली पर्यटन निगम ने यमुना के पानी को साफ करने की बनायी है। उसका कहना है कि यमुना में सीवरेज का पानी साफ करने के बाद ही डाला जाये। इसके लिए पर्याप्त संख्या में यमुना पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जाएंगे। ये एक तरह से इंटरसेप्टर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होंगे। अभी यमुना पर कुछ सीटीपी लगे हैं लेकिन इनमें से कई को सालों बाद भी चालू भी नहीं किया जा सका है। छोटे बड़े 22 नाले यमुना में गिरते हैं इसीलिए दिल्ली से गुजरते गुजरते यमुना बेहाल हो जाती है। यह योजना इसके पानी का स्तर काफी सुधार सकती है। पर्यटन निगम की इन योजनाओं से दिल्ली को ज्यादा पेयजल मिल सकता है और इसकी अन्य पड़ोसी राज्यों पर निर्भरता काफी घट सकती है।
साभार – राष्ट्रीय सहारा
http://www.rashtriyasahara.com/NewsDetailFrame.aspx?newsid=39296&catid=30&vcatname=

कोई टिप्पणी नहीं: