शुक्रवार, 11 अप्रैल 2008

गंगा मर रही है, टिहरी ने पानी रोका

वाराणसी। ‘गंगा तेरा पानी अमृत’ अब बीते जमाने की बात होकर रह गई है, क्योंकि वाराणसी में गंगा का पानी अब अपने प्रदूषण के उच्चतमस्तर पर पहुंच गया है।
गंगा सफाई से जुड़े प्रो. वीर भद्र मिश्र की मानें तो अस्सी घाट पार गंगा में फिकल क्वालिफार्म की संख्या वर्तमान समय में प्रति 100 सीसी पानी में 60 हजार बैक्टीरिया है और वी.ओ.डी की मात्रा चार से पांच मिली ग्राम प्रति लीटर है, जबकि यह तीन से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
आदि केशव घाट पर यही फिकल क्वालिफार्म डेढ़ लाख प्रति सौ सीसी पानी में हैं, जबकि वी.ओ.डी की मात्रा 22 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी में है।
अगर एक वाक्य में कहा जाए तो, गंगा अब मरने की कगार पर पहुंच चुकी है और वह दिन दूर नहीं जब गंगा इतिहास के पन्नों में सरस्वती नदी की तरह कहीं खो जाएंगी।
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में गंगा प्रयोगशाला के हेड प्रो. यू.सी. चौधरी ने तो यहां तक कह दिया है कि गंगा में ऑक्सीजन की मात्रा अबतक के निम्नतर स्तर पर है, क्योंकि टिहरी में गंगा के पानी को रोक को दिया गया है और गंदे नालों का पानी गंगा में लगातार गिर रहा है, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा लगातार कम होती जा रही है।
उन्होंने बेबाक लहजों में कहा की यदि अब गंगा को बचाने के ठोस प्रयास नहीं किए गए तो गंगा को कोई नहीं बचा सकता है।
द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का कहना है कि ‘नदी बेगे न शुद्धते’, अर्थात जिस नदी में धारा नहीं होगी उसकी गुणवत्ता भी समाप्त हो जाएगी।
रक्षत गंगाम आन्दोलन के प्रणेता राम शंकर सिंह का कहना है कि टिहरी से गंगा को मुक्त कर दिया जाए और शहरों के गंदे नाले गंगा में गिरने बंद हो जाएं, तभी गंगा बच सकती है वरना इसे बचाना संभव नहीं है।
भारत की “लाइफ लाइन” कही जाने वाली गंगा तिल-तिल कर मर रही है लेकिन उसके तथाकथित पुत्र उसे चुप-चाप मरते हुए देख रहे हैं और गंगा कि दुर्दशा ऐसी तब है, जब ‘गंगा एक्शन प्लान’ का दूसरा चरण चल रहा है।
कहना न होगा कि गंगा सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए अब तक बहाए जा चुके हैं, लेकिन वही हालत है कि 'ज्यों-ज्यों दवा की, त्यों-त्यों मर्ज बढ़ता गया'।
गंगा सफाई के सरकारी प्रयास के अलावा कम से कम तीन दर्जन गैर सरकारी संगठन वाराणसी में ऐसे हैं, जो दसों साल से गंगा प्रदूषण का राग अलाप रहे हैं, लेकिन गंगा में प्रदूषण रोकने के लिए प्रयास नहीं किए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस
साभार - http://www.josh18.com/showstory.php?id=171161

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