शुक्रवार, 11 अप्रैल 2008

गंगा किनारे जहरीला पीने का पानी

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस
पटना। बिहार की राजधानी पटना सहित 12 जिलों में करीब एक लाख 20 हजार लोग आर्सेनिक युक्त जहरीला पानी पाने के लिए मजबूर हैं।
आर्सेनिक युक्त पेयजल के कारण गैंग्रीन, आंत, लीवर, किडनी और मूत्राशय के कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां हो रही हैं।
राज्य के जन स्वास्थ्य और अभियंत्रण विभाग के मंत्री प्रेम कुमार ने आईएएनएस को बताया, “गंगा के किनारे रहने वाले 1,20,000 लोगों के जीवन को आर्सेनिक युक्त भू-जल से खतरा है”।
आर्सेनिक से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में भोजपुर, बक्सर, वैशाली, भागलपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, कटिहार, छपरा, मुंगेर और दरभंगा शामिल हैं।
समस्तीपुर जिले के एक गांव हरइल छपरा में भू-जल में आर्सेनिक की मात्रा 2100 भाग प्रति अरब है, जो प्रदेश में सबसे अधिक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार सुरक्षित पेयजल में आर्सेनिक की मात्रा 10 भाग प्रति अरब होनी चाहिए। भारत सरकार का मानक 50 भाग प्रति अरब है।
पिछले वर्ष सरकार ने इन 12 जिलों के 42 प्रखंडों के 398 गांवों में 19,961 नलकूपों के पानी के नमूनों को परीक्षण के लिए एकत्र किया था।
इधर प्रेम कुमार ने कहा कि सरकार प्रभावित क्षेत्र के लोगों को साफ पेयजल मुहैया कराने का प्रयास कर रही है। इन क्षेत्रों में आर्सेनिक की अधिक मात्रा के कारणों का पता लगाने के लिए एक अध्ययन भी कराया गया है।
सरकार ने भोजपुर जिले में एक जलशोधक परियोजना के लिए करीब 54 करोड़ रूपए की राशि मंजूर की है।
आर्सेनिक एक स्वादहीन और गंधहीन अर्द्धधात्विक तत्व है, जो प्रकृति में पाया जाता है। कृषि और औद्योगिक गतिविधियों के कारण भू-जल में इसकी सांद्रता बढ़ जाती है।
साभार - http://www.josh18.com/showstory.php?id=169151

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