बुधवार, 27 अगस्त 2008

बिहार के भूजल में संखिया की मात्रा खतरनाक

पटना (एजेंसी)। बिहार के भूजल में पाए जाने वाले संखिया के अनुपात को खतरनाक स्तर पर माना जा रहा है। प्रदेश के 38 में से 12 जिलों में भूजल प्रदूषित है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक संखिया मिले पानी का सेवन करने से पिछले कुछ वर्षों में लोगों को सफेद दाग जैसी त्वचा संबंधी बीमारियां हो रही हैं। केंद्रीय भूजल बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक केके सिंह ने कहा कि गंगा नदी के पठार की मिट्टी की जांच में संखिया की एकाग्रता उच्च स्तर पर पाई गई। इससे भूजल प्रदूषित हो रहा है। हाल ही में 12 प्रभावित जिलों में हुए प्राथमिक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश के आधार पर एक अरब में 10 हिस्से (पीपीबी) के तय मानक से भी ज्यादा संखिया पानी में पाया गया। प्रदेश के 316 ग्रामों के 20 हजार नलकूपों में पीपीबी 10 से भी ज्यादा पाया गया। वहीं 235 जिलों के 36 ग्रामों में पीपीबी 50 से भी ज्यादा था। संखिया से प्रभावित जिले पटना, भागलपुर, कटिहार, खगड़िया, बेगुसराय, मुंगेर, लखीसराय, समस्तीपुर, वैशाली, सरन, भोजपुर और बक्सर हैं। यूनिसेफ के मुताबिक प्रदेश की राजधानी के उपनगरीय इलाकों में स्थित नलकूपों के प्रदूषित पानी की वजह से करीब पांच लाख की जनसंख्या संखिया के रूप में धीमा जहर पी रही है। अध्ययन के मुताबिक पटना में भूजल संखिया रहित है। संखिया और प्रदूषित पानी पटना के उपनगरीय क्षेत्र दानापुर और फाथुआ में पाया गया है। विभाग के प्रमुख एके घोष ने भोजपुर, भागलपुर, पटना और वैशाली जिले से लिए गए 28 हजार नमूनों का विश्लेषण करने के बाद कहा कि भोजपुर के पांडे तोला के पानी में संखिया की मौजूदगी सबसे ज्यादा पाई गई।

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