भास्कर न्यूज
उदयपुर. प्रदूषित पानी पीते-पीते शहर के लाखों लोग पेट व अन्य रोगों के शिकार हो चुके हैं। शहर के हर घर में कोई न कोई व्यक्ति अपच, गैस, एसीडिटी, आंत, लिवर तथा पथरी जैसे रोगों के शिकंजे में हैं।
सीवरेज प्रदूषण
पछले माह से पुराने शहर का तीज का चौक, धोली बावड़ी, मालीवाड़ा, सुथारवाड़ा, रामद्वारा चौक, गौतम गली, दंडपोल, बोहरवाड़ी, कहारवाड़ी तथा हाथीपोल खटीकवाड़ा के हजारों नागरिक सीवरेज मिला पानी पी रहे हैं। इन क्षेत्रों के निजी तथा सरकारी नलकूप व हैंडपंप के पानी को सीवरेज के मैले ने प्रदूषित कर दिया है। सुथारवाड़ा मित्र मंडल के संयोजक बाबूलाल माली के अनुसार सीवरेज मेन लाइन का रखरखाव नहीं होने के कारण ऐसा हो रहा है।
इसी क्षेत्र के चंद्रप्रकाश शर्मा का कहना है कि पिछले कई माह से सीवरेज मेन लाइन खाली नहीं करने से निकासी अवरुद्ध हो गई है। कई भूमिगत चैंबर बस्र्ट हो गए हैं। चैंबर्स से लीकेज जल मल जमीन में चला गया। इससे क्षेत्र के ट्युूबवेल, ओपनवेल तथा हैंडपंपों का पानी खराब हो गया। अजय कुमावत ने बताया कि अनजाने में कई लोग प्रदूषित पानी पी गए जिससे उन्हें उल्टी, दस्त व पेटदर्द की परेशानियां झेलनी पड़ी।
पिछले महीने ही साफ की लाइन
वार्ड 42 के पार्षद मोहम्मद अयूब का कहना है कि खटीकवाड़ा मोहल्ला प्रदूषित पानी की सर्वाधिक मार झेल रहा है। वे सभापति तथा स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष को कई बार शिकायत कर चुके हैं। उनकी शिकायत पर पिछले महीने धोलीबावड़ी तथा सुथारवाड़ा मोहल्लों की सीवरेज मेन लाइन साफ की गई।
कई हैंडपंप दूषित
पिछोला के किनारे चांदपोल गेट के आसपास एक दर्जन हैंडपंप तथा कई निजी ट्यूबवेल पिछले दो सालों से प्रदूषित हैं। गणगौर घाट व लालघाट क्षेत्र के नलकूपों में भी सीवरेज मिला पानी आ रहा है। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने प्रदूषित नलकूपों पर लाल निशान लगा दिए, लेकिन इनके लिवर बंद नहीं किए। अनजान लोग प्रदूषित हैंडपंपों का पानी पी रहे हैं।
झीलों में भी रिसाव
लाइन पीछोला के मध्य होकर गुजर रही है। झील में बनाए गए कॉलम व पाइप से मैला रिसाव होकर झील का जल बर्बाद कर रहा है। पीछोला के पानी को जल वैज्ञानिक प्रदूषित बता चुके हैं। फिर भी जन स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग इस झील का 150 लाख लीटर पानी प्रतिदिन पेयजल के लिए सप्लाई कर रहा है। कहीं भी सीवरेज ब्लॉक होने की समस्या नहीं है। अंडर ग्राउंड वाटर सोर्स खराब होने की वजह सीवरेज लाइन के लिकेज होने या चैंबर्स बस्र्ट होने की शिकायत हो सकती है।
-डा. बसंतीलाल पितलिया, हैल्थ आफिसर नगर परिषद
उदयपुर के पानी में गेस्ट्रोइंट्रो इंफेक्शन के वायरस हैं। इन वायरस को इकोलाई या ईकोली कहते हैं। शहरी सीवरेज के पानी में पीलिया ए तथा ई वायरस हैं। दूषित पानी से कुछ लोग हैजा की गिरफ्त में हैं। परेशानी इस बात की है कि अधिकांश रोगी एक बार रोग मुक्त होने के बाद फिर वही पानी पीते हैं जिससे रोग रिपीट हो जाते हैं।
- डा. विपिन के.माथुर, गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष आरएनटी मेडिकल कॉलेज
गुरुवार, 24 अप्रैल 2008
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