भास्कर न्यूज
जोधपुर. सर्वाधिक औद्योगिक प्रदूषण के शिकार देश के 24 शहरों में शामिल हुए जोधपुर के निकटवर्ती जोजरी नदी पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी है। जोधपुर प्रदूषण निवारण ट्रस्ट ने रंगाई-छपाई और स्टील री-रोलिंग की फैक्ट्रियों से निकले प्रदूषित पानी को उपचारित करने के लिए यहां ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया है, लेकिन यह भी हकीकत है कि आज भी बिना उपचारित प्रदूषित पानी की निकासी से जोजरी के जख्म हरे ही हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने इस संकट से चेताते हुए जोधपुर के लिए एनवायरमेंट मैनेजमेंट प्लान बनाने की वकालत की है। ‘भास्कर’ ने जोजरी नदी, भूजल, जैव विविधता सहित मानवीय स्वास्थ्य के लिए खतरा बने औद्योगिक प्रदूषण की वजह जानने की कोशिश की तो चिंताजनक हकीकत उजागर हुई।
पर्यावरणीय नियमों और हाईकोर्ट के आदेश के बाद शहर में प्रदूषित पानी की निकासी करने वाली उन फैक्ट्रियों के संचालन की ही अनुमति दी जा सकती है, जो नियमानुसार ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ी हों और कृषि भूमि या आवासीय क्षेत्रों में प्रदूषण का सबब नहीं बनी हों।
हालांकि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल सहित प्रदूषण निवारण ट्रस्ट का दावा है कि स्टील री रोलिंग एवं रंगाई-छपाई की कमोबेश सभी फैक्ट्रियां ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ी हुई हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि कई फैक्ट्रियां प्लांट से जुड़े बिना ही प्रदूषित पानी बहा रही हैं।
जैव-विविधता पर मंडराता खतरा
जोधपुर के आस-पास औद्योगिक प्रदूषण के प्रभावों का अध्ययन कर रहे जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के वनस्पति शास्त्र विभाग के युवा वैज्ञानिक डॉ. सुखाराम विश्नोई के अध्ययन के नतीजे काफी चौंकाने वाले हैं। विश्नोई का कहना है कि इस एरिया की बॉयोमॉनिटरिंग स्टडी बताती है कि खेजड़ी, आक, बुई, सनिया, रोहिड़ा जैसी स्थानीय वनस्पति इस प्रदूषित पानी की मार सहन नहीं कर पा रही है। जोजरी नदी का तल तो बुरी तरह प्रदूषित पानी की चपेट में है और यहां की वनस्पति करीब-करीब जल चुकी है।
विलायती बबूल, अश्वगंधा, नीम सहित चुनिंदा वनस्पति ही है, जो ऐसी विषम स्थिति में बची है। विडंबना यह है कि प्रदूषित पानी से सिंचित होने के कारण अश्वगंधा सहित ऐसी ही अन्य वनस्पति के उत्पाद घातक रसायन युक्त हो गए हैं। इनका उपयोग मानवीय स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। यही नहीं, यहां के प्रदूषित पानी, मिट्टी और अन्य उत्पादों में भावी तत्वों की मौजूदगी पाई गई है।
रिपोर्ट में भी चिंता मुखर
राज्य सरकार के निर्देश पर एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज के डॉ. एसके सिंह के संयोजन में गठित कमेटी की रिपोर्ट में भी जोजरी के प्रदूषित होने पर चिंता जाहिर की गई है। कमेटी ने पाया कि यहां के पानी में प्रदूषण का स्तर मानक से ज्यादा है। प्रदूषित पानी का सीओडी 12 मिलीग्राम प्रति लीटर तक है। कलर कई सैंपल में मौजूद था और नाइट्रेट की मौजूदगी ५क् मिलीग्राम प्रति लीटर तक थी।
कमेटी का सुझाव है कि औद्योगिक क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रों में लगी फैक्ट्रियां स्थानांतरित की जाएं। क्षेत्र के सभी उद्योगों को ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जाए। जो क्षेत्र सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से नहीं जुड़े हुए हो, वहां नए प्लांट की स्थापना की जाए। कमेटी ने झालामंड से भांडू क्षेत्र को नो डिस्चार्ज जोन घोषित करने की सिफारिश की है।
और भी हैं कई खतरे
बालोतरा और पाली में हाईकोर्ट के आदेश पर फैक्ट्रियां बंद करवाने की नौबत आने से जोधपुर पर दबाव बढ़ गया है। इन कस्बों के फैक्ट्री मालिक रंगाई-छपाई की फैक्ट्रियां जोधपुर में शिफ्ट करने की कोशिश में लग गए हैं।
ट्रीटमेंट प्लांट पर अतिरिक्त बोझ की आशंका से ट्रस्ट ने पहले ही सार्वजनिक सूचना जारी करते हुए पहले रजिस्ट्रेशन करवाने की अनिवार्यता लागू कर दी है। इसी तरह फिलहाल दो तरह के उद्योगों को ही प्रदूषण का सबब माना जा रहा है, जबकि हालत यह है कि अन्य तरह के उद्योगों से भी प्रदूषण फैल रहा है, लेकिन उन्हें नियमों के दायरे में नहीं लिया गया है।
गुरुवार, 26 जून 2008
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