लखनऊ: उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने सूखाग्रस्त बुंदेलखंड समेत कई इलाकों में जमीन फटने की बढ़ती घटनाओं की जांच का निर्देश अधिकारियों को दिया है। जहां-जहां धरती दरकी है, उस इलाके को डेंजर जोन मानते हुए हाई अलर्ट घोषित किया गया है। इस बीच, इलाहाबाद जिले के यमुना पार इलाके के कई गांवों में जमीन में दरार पड़ने के बाद लोगों में दहशत फैल गई। प्रभावित गांव मेजा तहसील में हैं। वहां भूजल के गिरते लेवल पर लंबे समय से चिंता जताई जा रही थी।
ग्रामीणों ने बताया कि दरारें 3-4 फुट तक चौड़ी और 20 फुट तक लंबी हैं। आसपास के कुछ मकानों में भी दरारें देखी गईं। इलाहाबाद जिले से होकर गुजरने वाले दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग को भी खतरे की आशंका जताई जा रही है। कानपुर देहात, कानपुर शहर, औरेय्या, इटावा, और फतेहपुर में बुंदेलखंड की तरह जमीन में दरार पड़ने की खबर है।
जमीन फटने की घटनाओं की जानकारी मिलने पर मायावती ने पिछले शुक्रवार को यहां एक उच्चस्तरीय बैठक भी की थी। राज्य सरकार को सौंपी गई अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने दावा किया कि जमीन फटने की घटना किसी भूगर्भीय गतिविधि के बजाए भूगर्भ जल के अत्यधिक दोहन की वजह से हो रही हैं। इन घटनाओं की जांच कर रहे भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण ने राज्य सरकार को भूगर्भ जल के अत्यधिक दोहन को नियंत्रित करने और भूगर्भ जल संसाधन को बढ़ाने के लिए तुरंत कदम उठाने का सुझाव दिया है। टीमें हमीरपुर, जालौन और इटावा भेजी हैं। वह इस बारे में राज्य सरकार को अपनी विस्तृत रिपोर्ट सोमवार को दे सकता है।
सर्वेक्षण के उप महानिदेशक दीपक श्रीवास्तव के अनुसार सूखाग्रस्त इलाकों में जमीन फटने या दरार पड़ने की घटनाएं भूगर्भ जल के अत्यधिक दोहन की वजह से हो रही हैं। पिछले हफ्ते इस क्षेत्र में हुई बारिश की वजह से भूमिगत जल की पहली परत रीचार्ज हो गई, जिससे तनाव कम होने पर जमीन में दरार पड़ गई। हमीरपुर और जालौन जिलों के गांवों का दौरा करने वाली टीम ने पाया कि जमीन फटने की घटनाएं उन्हीं जगहों पर हुई हैं, जहां पानी के अत्यधिक दोहन की वजह से भूमि की सतह कमजोर हो गई थी। श्रीवास्तव ने इस बात से इनकार किया कि इस तरह की घटनाएं भूकंप आने का पूर्व संकेत हो सकती हैं।
गुरुवार, 26 जून 2008
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