वीरेंद्र राजपूत
भोपाल.प्रदेश में पानी के लिए जमीन की अंधाधुंध खुदाई जारी है। यही कारण है कि भोपाल समेत पूरे प्रदेश में जमीन का पानी लगातार नीचे जा रहा है। सूखते कुएं, तालाब और ट्यूबवैल इसकी नजीर हैं। चिंताजनक पहलू यह है कि अब भी लोगों ने पानी के महत्व को नहीं समझा है। जानकारों का कहना है कि पानी को रीचार्ज करके ही पानी के ‘संकट’ से पार पाया जा सकता है।
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के
मुताबिक वर्ष 1998 से 2007 तक प्रदेश में भूजल स्तर में गिरावट के ट्रेंड पर गौर करें तो यह बात सामने आती है कि बुंदेलखंड, बघेलखंड, निमाड़ और चंबल इलाकों में भू जलस्तर में तेजी से गिरावट आ रही है।
इससे सिद्ध होता है कि राज्य शासन द्वारा पिछले तीन वर्र्षो से चलाए जा रहे जलाभिषेक अभियान में मैदानी प्रगति नहीं हुई है। जब तक पानी बचाव के लिए बंड, पोखर, तालाब आदि का जिलेवार मास्टर प्लान अथवा एटलस तैयार नहीं होगा, तब तक किए जाने वाले सारे उपाय व्यर्थ साबित होंगे। मालवा, महाकौशल और मध्य भारत में जरूर कुछ स्थानों पर भू जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। इसका कारण इन इलाकों में सामान्य या इससे अधिक बारिश होना है।
जानकारी के मुताबिक भू जलस्तर में कमी आने से भविष्य में कई जिले जल अभाव ग्रस्त की श्रेणी में आ सकते हैं। इसकी रोकथाम के लिए बरसातीपानी को रोकने के लिए अगर जमीनी स्तर पर काम नहीं हुए तो नतीजे गंभीर हो सकते हैं।
संवेदनशील जिले
प्रदेश में 20 से अधिक जिले ऐसे हैं, जहां भूजल स्तर में कमी के ट्रेंड में प्रति वर्ष 20 सेंटीमीटर या उससे अधिक की कमी आ रही है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के मुताबिक भू जलस्तर की दृष्टि से इन जिलों को संवेदनशील माना जा सकता है।
इन जिलों में है भयावह हालात
भिंड, बुरहानपुर, छतरपुर, मुरैना, टीकमगढ़, उमरिया, बालाघाट, ग्वालियर, गुना, सीधी, रीवा, श्योपुरकलां, सागर, रायसेन, शिवपुरी, शाजापुर, राजगढ़, पन्ना, नरसिंहपुर, खंडवा, मंडला, दतिया और देवास।
लोगों में जागरूकता की जरूरत
भू जलस्तर में कमी चिंता का विषय है। लोग जमीन से पानी तो भरपूर निकाल रहे हैं, पर पानी को रीचार्ज करने को लेकर कोई गंभीर नहीं है। इसलिए भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। पानी बचाने को लेकर लोगों में जागरूकता जरूरी है। लोगों को चाहिए कि वे पानी की बर्बादी रोकें और पानी को रीचार्ज करें।
- डा. डीके गोयल, वरिष्ठ वैज्ञानिक सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड
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शुक्रवार, 8 अगस्त 2008
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