सोमवार, 28 अप्रैल 2008

पानी के लिए

दिल्ली में पानी की बर्बादी रोकने के लिए भारी जुर्माना लगाने के जल बोर्ड के प्रस्ताव का स्वागत किया जाना चाहिए। अब देखना यह है कि इसे कैसे अमल में लाया जाता है। आमतौर पर इस तरह के मामलों में नागरिकों पर आर्थिक दंड लगा पाना आसान नहीं होता। सड़कों पर गंदगी रोकने के लिए भी कई तरह के नियम बने हुए हैं पर उनका पालन नहीं कराया जा सका। इसलिए इस बात की आशंका है कि कहीं पानी से संबंधित यह नियम भी सिर्फ कागजी न साबित हो। हालांकि इसे प्रभावी बनाने के लिए बोर्ड ने कुछ ठोस व्यवस्था करने का फैसला किया है।

जुर्माना लगाने के लिए तीन अहम इलाकों में तीन मैजिस्ट्रेट तैनात किए जाएंगे। सबसे बड़ी बात है कि इस प्रस्ताव को दिल्ली हाई कोर्ट की भी सहमति मिली है। जल संकट दूर करने के लिए जो भी प्रयास हो सकते हैं किए जाएं, लेकिन समस्या की समझ और नीयत साफ होनी चाहिए। यह एक विश्वव्यापी संकट है और इससे निपटने की कोशिशों में एकरूपता होनी चाहिए। अधिकतर विशेषज्ञ मानते हैं कि सही दृष्टि के अभाव ने ही हमारे देश में इसे इस भयावह स्वरूप तक पहुंचा दिया है।
सरकारों ने अपने-अपने तरीके से इसे सुलझाना चाहा लेकिन जन भागीदारी की उपेक्षा की। अगर नौकरशाहों, स्वैच्छिक संगठनों तथा जनता के बीच इस स्तर पर कोई आम सहमति बन पाती और आपस में मिलकर कोई निर्णय किया जाता तो शायद यह नौबत नहीं आती। आज हालत यह है कि जनसंख्या बढ़ने के साथ ज्यों-ज्यों पानी की मांग बढ़ रही है इसकी किल्लत भी बढ़ती जा रही है, कई शहरों का जल स्तर नीचे चला गया है, नदियां और तालाब सूखते चले जा रहे हैं, जल प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।

सरकार दावा करती है कि देश की 90 फीसदी आबादी को पेयजल उपलब्ध हो रहा है पर सचाई इसके उलट है। अलग-अलग संगठनों के आकड़ों में भिन्नता है पर मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि बमुश्किल 50 फीसदी आबादी को ही निरंतर और साफ सुरक्षित पेयजल मिल पा रहा है। सरकारी अमला आरोप लगाता है कि जनता में पानी के इस्तेमाल का विवेक नहीं है मगर गवर्नमेंट जो कर सकती है वह भी तो ढंग से नहीं कर रही।

वह रेन हॉर्वेस्टिंग के उपाय बड़े पैमाने पर कर सकती है, वह तालाब, कुओं और बावड़ियों के जरिए पानी के संरक्षण की प्राचीन पद्धति को जीवित करने में सहायता कर सकती है, वह पानी की सप्लाई में होने वाले लीकेज को रोक सकती है, वह ग्राउंड वॉटर के मनमाने दोहन पर रोक लगा सकती है। अगर वह इन कामों में मुस्तैदी दिखाएगी तो लोग भी जागरूक होंगे।
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