सोमवार, 28 अप्रैल 2008

अमृतसर में बन रही है जल सेना

भास्कर न्यूज
अमृतसर.धरती सभी की जरूरतें पूरी करने में समर्थ है, पर लोगों के लालच को पूरा नहीं कर सकती। हवा, पानी और धरती तीनों ही प्रदूषित हो चुके हैं, यह लोगों की अपनी ही गलतियों के कारण हुआ है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के इन शब्दों के साथ बुधवार को पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (पीपीसीबी) अमृतसर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर एनएस मनशाइया ने संबोधित करना शुरू किया। वे भवंस एसएल पब्लिक स्कूल में प्रदूषण जागरुकता विषय पर आयोजित सैमिनार में स्टूडैंट्स को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर दैनिक भास्कर के मैनेजिंग एडीटर अनिल सिंघल और पीपीसीबी के संदीप महाजन उपस्थित थे।

रिसोर्सेज के प्रदूषित होने से बढ़ा प्रदूषण

मनशाइया ने कहा कि कुछ दशक पहले भारत में दूध की नदियां बहती थीं, यह नदियां असल में दूध की नहीं होती थीं। इसमें इतना स्वच्छ पानी होता था कि लोग इसे पीते थे। अब यह जहर में तबदील हो चुकी हैं। साफ दिखने वाले पानी का रंग काला हो चुका है।

कारखानों के गंदे पानी और लोगों द्वारा इसमें गंदे पदार्थ फैंक-फैंक कर इसको इतना प्रदूषित कर दिया है कि अब यह भयानक बीमारियों का कारण बनने लगे हैं। पानी के बाद लोगों ने स्वच्छ वायु को प्रदूषित किया और अब धरती भी इतनी प्रदूषित हो गई है कि इसमें भी जहरीलापन आने लगा है।

उन्होंने बताया कि सरकार ने 1974 में वाटर पॉल्यूशन एक्ट और 1981 में एयर पॉल्यूशन एक्ट बनाया। कारखानों में बचे कैमिकल के डिस्पोजल के लिए सरकार ने 1989 में हैजार्ड वेस्ट मैनेजमैंट एक्ट पारित किया। उन्होंने कहा कि यह सब तभी संभव है, जब लोग इस प्रदूषण को रोकने में साथ दें।

विकास और औद्योगिकीकरण जरूरी है, इससे भी प्रदूषण फैला है। उन्होंने कहा कि अंधाधुंध हो रहे विकास में लोग यह भूलते जा रहे हैं कि वातावरण को प्रदूषित कर हम अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। उन्होंने कहा कि विकास के लिए उद्योग भी जरूरी हंै। अगर सावधानी से काम किया जाए, तो प्रदूषण से बचा जा सकता है।

वाटर पॉल्यूशन में डोमैस्टिक वाटर जिम्मेदार : उन्होंने कहा कि नदी-नालों को प्रदूषित करने में डोमैस्टिक वाटर भी जिम्मेदार है। वाटर पॉल्यूशन में 95 फीसदी डोमैस्टिक वाटर है और सिर्फ 5 फीसदी इंडस्ट्री वाटर। उन्होंने कहा कि वेस्ट मैटीरियल से रोजाना प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।

पॉलीथिन बैग के इस्तेमाल से बचे

पॉलीथिन बैग के अधिक इस्तेमाल से भी प्रदूषण फैल रहा है। मनशाइया ने कहा कि जैसे हम अखबार को संभालते हैं और इकट्ठा कर बेच देते हैं। वहीं पॉलीथिन बैग्स को इधर-उधर फैंकने की बजाए एक जगह पर इकट्ठा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी पहली कोशिश यही होनी चाहिए कि पॉलीथिन का इस्तेमाल कम किया जाए। साथ ही उन्होंने उपस्थित स्टूडैंट्स को पानी बचाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि कार धोने के लिए बाल्टी में पानी भरकर इस्तेमाल करें, क्योंकि सीधे पाइप से कार धोने से काफी पानी बर्बाद हो जाता है।

उन्होंने पीपीसीबी को काम में सहयोग देने की अपील की। स्टूडैंट्स ने मनशाइया से जाना कि कैसे प्रदूषण की रोकथाम की जा सकती है।

इस मौके पर अनिल सिंघल ने कहा कि भूजल के गिरते स्तर के करण हमें घरों में सबमर्सिबल पंपों की खुदाई और नीचे करनी पड़ रही है। जो काम एक बाल्टी पानी में हो सकता है, उसके लिए हम पांच बाल्टी पानी का इस्तेमाल करते हैं। हमें पानी का सीमित प्रयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहिए। अपनी जरूरत के अनुसार ही पानी का इस्तेमाल करें। यही नहीं अपने परिजनों और पड़ोसियों को भी पानी बचाने के लिए जागरूक करें।

सिंघल ने कहा कि पानी को लेकर कई राज्यों में लड़ाइयां हो रही हैं। यही नहीं कई देशों में भी पानी को लेकर काफी मतभेद हैं। अगर सूरतेहाल यही रही तो तीसरा विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने अगेती चावल की बीजाई पर रोक लगाई है। किसान को जल के मौजूदा प्राकृतिक स्रोत से चावल की बिजाई करनी होगी। भूजल का इस्तेमाल कम से कम किया जाए। इससे हम पानी के गिरते स्तर को रोक सकते हैं। इस मौके पर अनिल सिंघल ने एनएस मनशाइया और संदीप महाजन को सम्मानित किया।

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