शनिवार, 24 मई 2008

रहिमन पानी राखिये – राजेश कमल

प्रकृति ने हमें अनेक नेमतों से नवाजा है। स्वच्छ वायु और शीतल जल उनमे से हैं। आज के पोस्ट में मैं सिर्फ़ जल की बात करूंगा।

यूं तो पृथ्वी का दो-तिहाई हिस्सा जल से ढंका है, किंतु इंसानों के प्रयोग लायक जल बहुत ही कम है। जल का मुख्य भण्डार हमारे सागर-महासागर हैं। फिर है दोनों ध्रुवों और पर्वतों पर बर्फ के रूप में जमा हुआ पानी। तीसरा है हमारे भूमिगत जल स्त्रोत। जमीन की सतह पर बह रही नदियों और तालाबों में जमा पानी भी है किंतु इन्हे भी बर्फीले ग्लासिएरों या भूमिगत स्त्रोतों से ही पानी मिलता है। हमारे वातावरण में मौजूद जल-वाष्प भी जल का एक बड़ा भण्डार हैं।

पृथ्वी पर मौजूद जल का तकरीबन ९७% हिस्सा सागरों और महासागरों के खारे पानी के रूप में है। बाकी का करीब ३% हिस्सा ही हमारे काम का है। उसमें से भी, ६७ - ६८ % हिस्सा बर्फ के रूप में जमा हुआ है। करीब ३०% हिस्सा भूमिगत जल का है। नदियों, झीलों और तालाबों में १% से भी कम ताजा पानी है।

हम इंसान इतने कम उपलब्ध जल के स्त्रोतों का इस तरह से दोहन कर रहे हैं की जल्द ही हमारे सामने जल संकट अपने विकरालतम रूप में मौजूद होगा। हमारे उपयोग का लगभग सारा जल नदियों, झीलों या भूमिगत स्त्रोतों से आता है। हम न सिर्फ़ जल का उपयोग करते हैं, बल्कि उसे प्रदूषित भी करते हैं। इस तरह हम दोधारी तलवार से अपने जीवनदाता पर वार कर रहे हैं।

जल की उपयोगिता की चर्चा करना व्यर्थ है। यदि कहूं कि "जल ही जीवन है" तो अतिशयोक्ति नही होगी। किंतु कैसा जल जीवन है? हमारे कुछ उपयोग जीवन को सहारा देने वाले हैं जैसे की जल का भोजन और पीने के लिए उपयोग। फिर कुछ अन्य सहयोगी कार्य भी हैं जैसे नहाना, कपडे-बर्तन धोना और उद्योग धंधों में काम आने वाला पानी।

पानी पृथ्वी पर पायी जाने वाली एकमात्र ऐसी चीज़ है जो वस्तु के तीनो अवस्थाओं ठोस (बर्फ), तरल (जल) और गैस (जल-वाष्प) रूपों में एक साथ प्राकृतिक तौर पर मौजूद है। जो जल हमें मिलता है, उसमे कई तरह के कण और सुक्ष्म जीव होते हैं। उसमें कुछ हमें फायदा पहुंचाते हैं तो कुछ हमारा नुकसान भी करते हैं। आईये देखें कि जल में कौन-कौन से गुण होने चाहिए।

1. जल में आंखों से दीखने वाले कण और जीव-वनस्पति नही हों।
2. हानि पहुँचानेवाले सुक्ष्म जीव या कण न हों।
3. जल का pH संतुलित हो।
4. जल में पर्याप्त मात्र में oxygen घुला हो।

जल - प्रदूषण
मैं चर्चा करना चाहूँगा जल-प्रदूषण की।
जब प्रदूषण की बात करें तो उपरोक्त चारों गुण यदि ना हों तो कहेंगे कि जल उपयोग के लायक नही है। प्रथम बिन्दु की बात करें तो पाएंगे कि आंखों से दीखने वाले कण और वनस्पति कुछ तो सीधे तौर पर हमारे द्वारा फेंके गए ठोस कचरे का परिणाम है और कुछ प्राकृतिक कारणों से हैं। प्राकृतिक कारणों में भूमि-क्षरण, प्राकृतिक परिवेश के पौधे इत्यादी हैं। जहाँ पर भोजन होगा, खाने वाले तो वहाँ पहुंचेंगे ही। फिर चाहे वो सूक्ष्म जीव ही क्यों न हों। रही बात जल के pH और oxygen की तो यह सब इंसानी कारनामे हैं। हमारे कल-कारखानों से निकलता औद्योगिक कचरा नदियों और भूमिगत जल-स्त्रोतों को खतरनाक रसायनों के मिलावट से प्रदूषित कर रहा है।
भूमिगत जल-स्त्रोतों का अत्यधिक दोहन होने से उसमे अनेक तत्वों की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुँच गयी है। इसको हम ppm में मापते हैं जिसका अर्थ होता है पार्ट प्रति मिलियन। ओक्सेजन को BOD and COD में मापते हैं।
BOD यानि Biological oxygen demand और COD यानि chemical oxygen demand. pH जल की acidity या alkaline nature को बताता है। साधारण जल का pH 7 होता है। इससे ज्यादा हुआ तो alkaline और कम हुआ तो acidic होता है।
जल में विभिन्न प्रकार के कण की उपस्थिति जल को Hard बनाती है। नाम के मुताबिक ही ऐसे जल से कोई काम कर पाना हार्ड होता है। जल से तमाम चीजों को बाहर कर उसे उपयोग के लायक बनाया जाता है। इसे Water treatment कहते हैं।

जल शुद्धिकरण

जल की सफ़ाई करने का सबसे सरल उपाय है - उसको छान लेना। गाँव-देहातों में लोग पुरानी साफ धोती का इस्तेमाल जल को छानने में करते हैं। यह सबसे आसान और सस्ता तरीका है। इस तरीके से जल के बड़े कण और जीव-वनस्पति निकल जाते हैं। किंतु यह उपाय जल में मौजूद सूक्ष्म जीवों और गंध का सफाया नही करता।

दूसरा रास्ता है पानी को उबाल लेना। यह काफी हद तक कारगर तो है किंतु इसमे उर्जा व्यय होती है। उबालने के समय को लेकर काफ़ी भ्रम है किंतु काफी सारे सूक्ष्म जीव सिर्फ़ १०० डिग्री का तापमान आते-आते ख़त्म हो जाते हैं। ज्यादा उबालना उर्जा की बर्बादी के साथ-साथ भारी कणों की सघनता बढ़ा देता है।

तीसरा रास्ता है रसायनों का प्रयोग। आम तौर पर क्लोरीन और आयोडीन का इस्तेमाल होता है। इनकी कार्य-कुशलता इनकी सांद्रता और प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध समय पर निर्भर करता है।

व्यवसायिक तौर पर शुद्ध जल के लिए activated carbon bed जैसी तकनीकों का इस्तेमाल होता है। ये शोध का विषय हो सकता है, किंतु इस पोस्ट को मैं और लंबा नही करना चाहता। कभी समय मिला तो rain water harvesting जैसी तकनीक पर चर्चा ज़रूर करूंगा।
पीने योग्य जल: क्या कहता है भारतीय मानक ब्यूरो

भारतीय मानक ब्यूरो ने पीने लायक पानी किसे माना है। BIS 10500 : 1991 के अनुसार, पीने योग्य पानी उसे कहेंगे जिसमे निम्नलिखित बातें हो।
Sl.No Substance/Characteristic Requirement Permissible Limit
(Desirable Limit)in absence of Alternate source
Essential characteristics
1Colour, ( Hazen units, Max )525
2OdourUnobjectonableUnobjectionable
3TasteAgreeableAgreeable
4Turbidity ( NTU, Max)510
5pH Value6.5 to 8.5No Relaxsation
6Total Hardness (as CaCo3) mg/lit.,Max300600
7Iron (as Fe) mg/lit,Max0.31
8Chlorides (as Cl) mg/lit,Max.2501000
9Residual,free chlorine,mg/lit,Min0.2--
Desirable Characteristics
10Dissolved solids mg/lit,Max5002000
11Calcium (as Ca) mg/lit,Max75200
12Copper (as Cu) mg/lit,Max0.051.5
13Manganese (as Mn)mg/lit,Max0.10.3
14Sulfate (as SO4) mg/lit,Max200400
15Nitrate (as NO3) mg/lit,Max45100
16Fluoride (as F) mg/lit,Max1.91.5
17Phenolic Compounds (as C 6 H5OH)0.0010.002
mg/lit, Max.
18Mercury (as Hg)mg/lit,Max0.001No relaxation
19Cadmiun (as Cd)mg/lit,Max0.01No relaxation
20Selenium (as Se)mg/lit,Max0.01No relaxation
21Arsenic (as As) mg/lit,Max0.05No relaxation
22Cyanide (as CN) mg/lit,Max0.05No relaxation
23Lead (as Pb) mg/lit,Max0.05No relaxation
24Zinc (as Zn) mg/lit,Max515
25Anionic detergents (as MBAS) mg/lit,Max0.21
26Chromium (as Cr6+) mg/lit,Max0.05No relaxation
27Polynuclear aromatic hydro carbons----
(as PAH) g/lit,Max
28Mineral Oil mg/lit,Max0.010.03
29Pesticides mg/l, MaxAbsent0.001
30Radioactive Materials

i. Alpha emitters Bq/l,Max--0.1
ii. Beta emitters pci/l,Max--1
31Alkalinity mg/lit.Max200600
32Aluminium (as Al) mg/l,Max0.030.2
33Boron mg/lit,Max15

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