गुरुवार, 26 जून 2008
भूगर्भ जल में भी पांव पसार रहा प्रदूषण
लखनऊ, 9 जून : गिरते भूजल स्तर से निपटने की रणनीति बना रहे प्रदेश में अब धरती के नीचे बह रहे पानी में भी प्रदूषण का प्रकोप पांव पसार रहा है। प्रदेश के छह जिलों में भूजल फ्लोराइड से प्रदूषित हो चुका है, जबकि पांच जिलों के भूजल में आर्सेनिक की उपस्थिति दस्तक दे चुकी है। लखनऊ में जमीन के नीचे उथले या प्रथम स्तर के पानी में नाइट्रेट की मात्रा अधिक मिली है। आगरा व मथुरा में भूगर्भ जल खारा हो चुका है, जबकि कानपुर में भूजल के अधिक नमकीन होने के साथ ही कुछ क्षेत्रों में पानी में क्लोराइड का प्रदूषण भी पाया गया है। कानपुर में ही जाजमऊ के चमड़ाशोधन उद्योगों से रिसा क्रोमियम भूगर्भ जल में इतना घुल चुका है कि वहां के पानी का रंग ही पीला हो गया है। यह तथ्य केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड द्वारा प्रदेश में टयूबवेल व हैंडपम्प के पानी के नमूनों की रसायनिक जांच में सामने आये हैं। रिपोर्ट के मुताबिक मथुरा और आगरा का भूजल इतना खारा हो चुका है कि वहां अधिकांश सम्पन्न लोग रिवर्स आसमोसिस प्लांट द्वारा भूजल शोधित कर पी रहे हैं जबकि गरीब लोग इस महंगी तकनीक का इस्तेमाल न कर पानी के कारण हैंडपंप का पानी पी रहे हैं और इसी के चलते बीमार हो रहे हैं।
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1 टिप्पणी:
आर्सेनिक वास्तव में एक बड़े ही जहरीले तत्व के रूप में पहचाना गया है.
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