आगरा, ताजमहल के शहर के नाम से मशहूर आगरा के निवासी स्वच्छ जल के लिए आज भी तरस रहे हैं। आज से 14 साल पहले प्रदूषित पानी पीने से इसी शहर में 21 लोगों की मौत हो गयी थी। मृतकों को याद करते हुए सोमवार को शहर में जल त्रासदी दिवस मनाया गया।
इस दिन स्वच्छ पानी और अन्य सुविधाओं के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया गया। 21 मई, 1993 को खटिकपारा और मंडी सईद खान क्षेत्र के 21 लोग प्रदूषित पानी पीने से मौत के शिकार हो गए थे। यह पानी स्थानीय नागरिक संस्था द्वारा उपलब्ध कराया जाता था। जांच के बाद पानी को अत्यधिक प्रदूषित पाया गया था। जहरीला पानी पीने से 21 लोगों की मौत के 14 साल बीत जाने के बाद भी शहर के लोग स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं। अब तक न स्वच्छ पानी की व्यवस्था की गयी है और न ही मृतकों के परिवार वालों को अनुदान दिया गया है। जल दिवस त्रासदी को मनाने के लिए शहर के कई हिस्सों में बैठकें आयोजित की गयीं और स्वच्छ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित न करा पाने के लिए सरकार को जिम्मेदार मानते हुए आलोचना की गयी।
खटिकपारा क्षेत्र के निवासियों ने सिर पर काली पट्टी बांध कर और काला झंडा लहरा कर अधिकारियों का विरोध किया और 1993 में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। शहर का भूजल भयंकर रूप से प्रदूषित और नुकसानदायक है। पर्यावरण कार्यकर्ता विनय पालीवाल का कहना है कि ऊंची ऊंची इमारतें और कुछ बड़े होटल ज्यादातर पानी के दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि वे बोरिंग के माध्यम से जमीन के नीचे का पानी सोख लेते हैं और बदले में कचरे का पानी जलाशयों में डालते हैं। इससे भूजल का स्तर गिरता जा रहा है और प्रदूषण बढ़ रहा है। आगरा के निवासी अपनी जरूरतों के लिए लगभग पूरी तरह यमुना नदी पर निर्भर करते हैं, लेकिन सरकार यमुना को प्रदूषण से बचाने में नाकाम रही।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस
गुरुवार, 26 जून 2008
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